न खुशी न गम बांट पाती हूं बस भावहीन होकर संबंध निभाती हूं. न खुशी न गम बांट पाती हूं बस भावहीन होकर संबंध निभाती हूं.
न्याय का दीपक जलाता नियमों का ये विधान है, ये संविधान है ll न्याय का दीपक जलाता नियमों का ये विधान है, ये संविधान है ll
पन्ने दर पन्ने खुलकर उड़ रहे थे.. शब्द मेरी कविता के जैसे मंत्रमुग्ध हो रहे थे.. पन्ने दर पन्ने खुलकर उड़ रहे थे.. शब्द मेरी कविता के जैसे मंत्रमुग्ध हो रहे ...
कोई इंतजार कर रहा है तुम्हारा कोई इंतजार कर रहा है तुम्हारा
इतना सताना मुनासिब नही ज़िन्दगी, जियो और जीने दो का रूख अपनाओ, मैं क्या घृणा करूंगी कभ इतना सताना मुनासिब नही ज़िन्दगी, जियो और जीने दो का रूख अपनाओ, मैं क्या घृण...
लाज़मी है कि आपने भी मुझ में कुछ अच्छा देखा होगा, तभी तो ज़िन्दगी हमारे नाम करने की लाज़मी है कि आपने भी मुझ में कुछ अच्छा देखा होगा, तभी तो ज़िन्दगी हमारे ना...